Meaning of Aum
क्या आपको मालूम है- ॐ शब्द की अपार दिव्यता — Benefits of Chanting Aum
ओम् ईश्वर का सर्वश्रेष्ठ नाम है।
मुख्यत: यह समस्त ब्रह्मांड ईश्वर का विस्तृत रूप है। दृश्य ब्रह्मांड ईश्वर के कातिपय गुणों को प्रदर्शित करता है।
जगत का प्रत्येक पदार्थ उस ईश्वर की रचना है। ओम् जो यह अक्षर है, यह सब उस ओम् का विस्तार है जिसे ब्रह्मांड कहते हैं।
ॐ शब्द इस दुनिया में किसी ना किसी रूप में सभी मुख्य संस्कृतियों का प्रमुख भाग है|
ॐ के उच्चारण से ही शरीर के अलग अलग भागों मे कंपन शुरू हो जाती है जैसे की
‘अ’:- शरीर के निचले हिस्से में (पेट के करीब) कंपन करता है|
‘उ’:– शरीर के मध्य भाग में कंपन होती है जो की (छाती के करीब) .
‘म’:- से शरीर के ऊपरी भाग में यानी (मस्तिक) कंपन होती है |
ॐ शब्द के उच्चारण से कई शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक लाभ मिलते हैं|
अमेरिका के एक FM रेडियो पर सुबह की शुरुआत ॐ शब्द के उच्चारण से ही होती है|
भूत, वर्तमान और भविष्य में सब ओंकार ही है और जो इसके अतिरिक्त तीन काल से बाहर है, वह भी ओंकार है।
समय और काल में भेद है। समय सादि और सान्त होता है परन्तु काल, अनादि और अनंत होता है।
समय की उत्पत्ति सूर्य की उत्पत्ति से आरंभ होती है।
वर्ष, महीने, दिन, भूत, वर्तमान और भविष्य आदि ये विभाग समय के हैं जबकि काल इससे भी पहले रहता है।
प्रकृति का विकृत रूप तीन काल के अंदर समझा जाता है। प्रकृति तीन कालों से परे की अवस्था है, अत: उसे त्रिकालातीत कहा गया है।
वह यह आत्मा अक्षर में अधिष्ठित है और वह अक्षर है ओंकार है और वह ओंकार मात्राओं में अधिष्ठित है।
हमारे ऋषि-मुनियों ने ध्यान और मोक्ष की गहरी अवस्था में ब्रह्म, ब्रह्मांड और आत्मा के रहस्य को जानकर उसे स्पष्ट तौर पर व्यक्त किया था।
Aum Meaning Yoga
Meaning of Aum
‘ओंकारों यस्य मूलम’ वेदों का मूल भी यही ओम् है।
ऋग्वेद पत्र है, सामवेद पुष्प है और यजुर्वेद इसका इच्छित फल है। तभी इसे प्रणव नाम दिया गया है जिसे बीज मंत्र माना गया है।
इस ओम् के उच्चारण में केवल पंद्रह सैकंड का समय लगता है जिसका आधार 8, 4, 3 सैकेंड के अनुपात पर माना गया है।
अक्षर ‘अ’ का उच्चारण स्थान कंठ है और ‘उ’ एवं ‘म’ का उच्चारण स्थान ओष्ठ माना गया है।
नाभि के समान प्राणवायु से एक ही क्रम में श्वास प्रारंभ करके ओष्ठों तक आट सैकंड का समय और फिर मस्तक तक उ एवं म् का उच्चारण करके 4, 3 के अनुपात का समय लगता है और यह प्रक्रिया केवल 15 सैकंड में समाप्त होती है।
ओइमकारं बिंदु संयुक्तं नित्यं ध्यायन्ति योगिन :।
कामदं मोक्षदं चैव ओंकाराय नमो नम:॥
योगी पुरुष ओंकार का नाद बिंदू सहित सदा ध्यान करते हैं और इसका स्मरण करने से सभी प्रकार की कामनाएं पूर्ण होती है।
ॐ के उच्चारण से मिलता है लाभ — Benefits of Chanting Aum
यह ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक भी है और यह भू: लोक,और स्वर्ग लोग का प्रतीक भी माना जाता है।
बीमारी दूर भगाएँ :
मंत्रों का उच्चारण जीभ, होंठ, तालू, दाँत, कंठ और फेफड़ों से निकलने वाली वायु के सम्मिलित प्रभाव से संभव होता है।
इससे निकलने वाली ध्वनि शरीर के सभी चक्रों और हारमोन स्राव करने वाली ग्रंथियों से टकराती है।
इन ग्रंथिंयों के स्राव को नियंत्रित करके बीमारियों को दूर भगाया जा सकता है।